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सिविल सर्विसेज एप्टिट्यूड टेस्ट

नई इबारत नई मंजिल
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बदलाव की धारा को पहचानिए

केन्द्र सरकार ने संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित किए जाने वाले सिविल सर्विसेज परीक्षा के लिए वर्ष 2011 से अमल में लाए जाने वाले नए पैटर्न और उन बदलावों का खुलासा किया है, जिसके आधार पर देश की सबसे बड़ी सेवा के लिए अभ्यर्थियों का चयन किया जाएगा. इसके तहत अभी तक आयोजित होने वाली प्रारंभिक परीक्षा का स्वरूप बदलकर केवल एप्टिट्यूड आधारित कर दिया जाएगा, जबकि मुख्य परीक्षा पहले की तरह ही आयोजित की जाएगी.

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सरकार ने उस प्रस्ताव पर सहमति दे दिया है, जिसके तहत कंडीडेट्स को मुख्य परीक्षा के लिए शॉर्ट लिस्ट किया जाना है. इसके अंतर्गत अभ्यर्थियों को दो ऑब्जेक्टिव टाइप पेपर्स को हल करना होगा और दोनों पेपर्स बराबर मार्क्स के रखे जाएंगे. इसका उद्देश्य अभ्यर्थी के एप्टिट्यूड ज्ञान की परीक्षा के साथ ही उसके निर्णय क्षमता के एथिकल और मॉरल ज्ञान की भी परीक्षा करना है. यह बदलाव सीएसएटी यानी सिविल सर्विसेज एप्टिट्यूड टेस्ट के नाम से होगा.

इस बदलाव की सिफारिश द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग सहित कई समितियों ने की थी. इन सभी का मानना था कि किसी खास विषय में एक्सपर्ट व्यक्ति के लिए यह निश्चित तौर पर नहीं कहा जा सकता कि वह एक बेहतर लोक सेवक साबित होगा. चूंकि एक लोक सेवक के लिए बार-बार निर्णय लेने की जरूरत होती है, इसीलिए उसके एप्टिट्यूड ज्ञान का बेहतर होना जरूरी है. इसके अलावा इस व्यवस्था के तहत सभी अभ्यर्थियों को समान रूप दो कॉमन पेपर्स हल करने होंगे जबकि अभी तक केवल एक कॉमन पेपर हल करना होता है. साथ ही इससे स्केलिंग सिस्टम के कारण जो विवाद पैदा होते हैं, उन पर भी विराम लगेगा.

क्या फर्क आ सकता है सिलैबस में

हालांकि अभी यह बिलकुल साफ नहीं किया गया है कि वास्तविक रूप से क्या पूछा जाएगा किंतु जिस प्रकार से एप्टिट्यूड पर आधारित पेपर होने की बात की जा रही है उससे यह स्पष्ट अनुमान लगाया जा सकता है कि अब लोक प्रशासन, मनोविज्ञान, समाजशास्त्र या समाज कार्य तथा सामान्य ज्ञान का महत्व कई गुना अधिक हो जाएगा. उन विषयों से अधिक प्रश्न आने की संभावना है जिनका ज्ञान होना एक लोक सेवक के लिए अनिवार्य है. यह परिवर्तन एप्टिट्यूड और सामान्य अध्ययन दोनों ही पेपर्स में हो सकता है.

यदि यह व्यवस्था वर्ष 2011 के प्रारंभिक परीक्षा से ही लागू कर दी जाती है तो क्या फर्क पड़ सकता है?

नए अभ्यर्थी के लिए तो मामला कुछ आसान है, किंतु उनका क्या होगा जिनका यह दूसरा या तीसरा प्रयास है. यानी अब अगर ऐसे अभ्यर्थी अगले साल की परीक्षा में बैठने का मन बनाते हैं तो उन्हें अपने तैयारी की रणनीति और दिशा दोनों में मूलभूत परिवर्तन लाना होगा.

इसका अर्थ है कि अभी तक जारी विषयवार तैयारी की रणनीति को बदलकर एप्टिट्यूड पर आधारित तैयारी करनी होगी.

अभी तक प्रारंभिक परीक्षा में शामिल होने के लिए आपको एक ऑप्शनल और एक जनरल स्टडी के पेपर की प्रिपरेशन करनी होती है. लेकिन अब इस परिवर्तन से दोनों पेपर्स सभी के लिए कॉमन हो जाएंगे.

क्या यह अभ्यर्थियों के हित में है

इससे उन अभ्यर्थियों को जरूर फायदा मिलेगा जो लॉजिक और एप्टिट्यूड पर अधिक बल देते हैं. गणित और विज्ञान या इंजीनियरिंग पृष्ठभूमि के छात्रों को निश्चित रूप से बढ़त हासिल होगी क्योंकि अमूमन उनकी गणितीय और तार्किक क्षमता अधिक होती है. लेकिन इसका नकारात्मक असर ग्रामीण और कस्बाई क्षेत्रों में रहने वाले अभ्यर्थियों पर पड़ेगा, क्योंकि इन छात्रों को शीघ्रता से इस परिवर्तन के अनुकूल बना लेने में कई मुश्किलें आएंगी.

क्या इससे चयन में पहले से अधिक पारदर्शिता होगी

सबसे पहले तो जो फायदा होगा वह है स्केलिंग के कारण होने वाले विवादों से छुटकारा. चूंकि प्रारंभिक परीक्षा में अभी तक एक ऑप्शनल का पेपर होता है जिसके कारण मार्किंग में हमेशा संशय की स्थिति बनी रहती है, किंतु इस बदलाव से अभी तक यूपीएससी पर स्केलिंग के कारण जो आरोप लगते रहे हैं उनसे मुक्ति मिल जाएगी.

क्या मुख्य परीक्षा की रणनीति में भी बदलाव अपेक्षित है?

नहीं, अभी तक सुझाए गये परिवर्तनों को देखकर यह स्पष्ट होता है कि इस महत्वपूर्ण परीक्षा के द्वितीय चरण यानी मुख्य परीक्षा और साक्षात्कार की रणनीति में किसी खास बदलाव की जरूरत नहीं होगी. लेकिन एक बदलाव यह होने की गुंजाइश हो सकती है कि मुख्य परीक्षा में पूछे जाने वाले प्रश्नों का स्वरूप अधिकाधिक लॉजिकल होता जाए. यानी अब केवल रटने से काम नहीं बनेगा और आपको ज्यादा से ज्यादा तर्कशील बनना ही होगा. यहॉ तक कि साक्षात्कार के दौरान भी ऐसे मुद्दे उठ सकते हैं जिनके जवाब में आपसे आशा की जाएगी कि आप अधिकाधिक प्रशासनिक लक्षणों को अपने उत्तर में शामिल करें.

घबराए बिना करें तैयारी

अंत में सबसे बड़ी बात है कि यह परिवर्तन केवल एक के लिए नहीं बल्कि सभी के लिए होगा इसलिए बिना घबराए रणनीति बनाएं. वक्त की नजाकत को भांप कर जो समय की धारा के साथ
चलना सीख लेगा उसे किसी भी परिवर्तन के वावजूद सफलता मिल ही जाएगी. बस जरूरत इस बात की है कि किसी भी स्थिति में हौसला बनाए रखें जीत आपकी होगी.

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