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इस आलेख को तीर्थंकर महावीर विश्वविद्यालय(मुरादाबाद) के सहयोग से जारी किया गया है. तीर्थंकर महावीर विश्वविद्यालय की वेबसाइट है:http://tmu.ac.in
मुकेश एक मल्टीनेशनल कंपनी में इंजीनियर हैं। आधुनिक सुविधाओं के सभी साधन उनके पास हैं। जबकि दशक भर पहले उनके परिवार की स्थिति इसके विपरीत थी। उनके पिता निजी कंपनी में मुलाजिम थे। आर्थिक तंगी में, छात्रवृत्ति के दम पर मुकेश पढते गए। 12वीं के साथ-साथ उन्होंने आईआईटी के एंट्रेंस एग्जाम में भी सफलता की। मुकेश की सफलता से पिताजी भी खुश थे, लेकिन इस महंगाई में चार बच्चों की पढाई और घर के खर्च का बोझ को लेकर वे चिंतित थे। मुकेश को अपने दोस्त से जानकारी मिली कि पढाई के लिए तमाम बैंकों से एजुकेशन लोन संभव है। छात्र मेधावी हो, तो लोन आसानी से मिल जाता है। लोन की री-पेमेंट, छात्र को जॉब मिलने के बाद करनी होती है। एजुकेशन लोन की मदद से उनकी मुश्किल आसान हो गई। अगर आपके परिवार को आपकी हायर स्टडीज के लिए पैसों का बंदोबस्त करने में कठिनाई आ रही है, तो पढाई जारी रखने के लिए मुकेश की तरह आप भी एजुकेशन लोन ले सकते हैं। आप चाहे बीए, बीकॉम या बीएससी जैसे ट्रेडीशनल कोर्स करना चाहें या फिर एमबीए, एमबीबीएस जैसे प्रोफेशनल कोर्स। हर तरह के कोर्स के लिए एजुकेशन लोन ले सकते हैं। इसके लिए हर बैंकों में नियम और शर्र्ते समान हैं। हालांकि ब्याज दरों में कुछ फर्क जरूर दिखता है।
एलिजिबिलिटी
कोई भी भारतीय छात्र यदि वह किसी कोर्स में सर्टिफिकेट, डिप्लोमा या फिर डिग्री हासिल करना चाहता हो, तो वह एजुकेशन लोन के लिए आवेदन कर सकता है। शर्त बस इतनी है कि जहां से वह यह कोर्स करने जा रहा हो, वह संस्थान मान्यताप्राप्त हो। यह जरूरी नहीं कि स्टूडेंट को सिर्फ सरकारी संस्थानों में ही प्रवेश के लिए लोन दिया जाता है। एजुकेशन लोन प्राइवेट इंस्टीट्यूशंस की फीस चुकाने के लिए भी दिया जाता है।
क्या है शामिल लोन में
एजुकेशन लोन के तहत कोर्स के साथ हॉस्टल और एग्जामिनेशन की फीस शामिल की जाती है। इसके अलावा लेबोरेटरी और लाइब्रेरी फीस, किताबें और कम्प्यूटर खरीदने की रकम भी लोन में शामिल की जाती है। अगर स्टूडेंट किसी विदेशी यूनिवर्सिटी में एडमिशन ले रहा है, तो ऐसे में उसे आने-जाने पर खर्च होने वाली रकम के लिए भी लोन दिया जाता है। देना बैंक के सीनियर मैनेजर मार्केटिंग कुलदीप सिंह कहते हैं कि एजुकेशन लोन में उस फीस को नहीं जोडा जाता, जो रिफंडेबल होती है। रिफंडेबल डिपॉजिट्स का प्रबंध स्टूडेंट को खुद ही करना होता है। एजुकेशन लोन के अमाउंट की एक खास बात यह भी है कि यदि स्टूडेंट को किसी तरह की कोई छात्रवृत्ति मिल रही हो, तो उसे एजुकेशन लोन के अमाउंट से अलग ही रखा जाता है।
लोन अमाउंट
एजुकेशन लोन आमतौर पर दो तरह से दिया जाता है। स्टूडेंट अगर भारत में रहकर पढाई जारी रखना चाहता है, तो उसे अधिकतम 10 लाख रुपये तक, जबकि विदेश में जाकर पढने के लिए अधिकतम 20 लाख रुपये तक का लोन सेंक्शन किया जाता है। बैंक ऑफ महाराष्ट्र के सीनियर मैनेजर जावेद कासिम मोहनवी कहते हैं कि स्टूडेंट यदि लोन के तौर पर 4 लाख रुपये की डिमांड करता है, तो उसे बिना किसी गारंटर के लोन दे दिया जाता है। लोन की राशि 4 से 7.5 लाख के बीच होने पर थर्ड पार्टी गारंटर की जरूरत पडती है।
यदि अमाउंट 7.5 लाख को भी पार करता है, तो ऐसे में 2 गारंटर्स के साथ स्टूडेंट को शेयर, डिबेंचर, नेशनल सेविंग सर्टीफिकेट या फिर कोई प्रॉपर्टी बतौर सिक्योरिटी रखनी होती है। जहां तक मार्जिन का सवाल है, तो 7.5 लाख से अधिक के लोन में स्टूडेंट को पढाई के कुल खर्च का 15 फीसदी, जबकि 4 से 7.5 लाख के लोन में 5 फीसदी का खर्च खुद उठाना होता है।
री-पेमेंट
बैंक ऑफ बडौदा के मैनेजर जीवेश शर्मा कहते हैं कि जब स्टूडेंट का कोर्स खत्म हो जाता है, तो उसके बाद कम से कम 6 महीनों का वक्त जॉब की तलाश के लिए दिया जाता है। जॉब मिल जाने के बाद स्टूडेंट को लोन की री-पेमेंट करनी होती है। इसके अलावा यह सुविधा भी है कि यदि स्टूडेंट के पैरेंट्स चाहें, तो वे भी लोन के डिस्बर्स होने के साथ ही री-पेमेंट की शुरुआत कर सकते हैं। ऐसा करने पर कई बैंक इंटरेस्ट रेट में एक फीसदी की छूट भी ऑफर करते हैं।
इंस्टीट्यूट-बैंक का टाई-अप
कई इंस्टीट्यूट्स ऐसे भी हैं, जिनका पहले से ही बैंकों से टाई-अप है। ऐसे में आर्थिक रूप से कमजोर स्टूडेंट उस संस्थान के माध्यम से भी लोन के लिए अप्लाई कर सकते हैं। बैंकिंग मामलों के जानकारों का कहना है कि यदि इंस्टीट्यूट का किसी बैंक के साथ टाई-अप है तो वहां से लोन लिया जा सकता है, लेकिन एजुकेशन या फिर किसी भी दूसरे तरह के लोन के लिए किसी एजेंट या फिर बिचौलिये की अपेक्षा बैंक को खुद अप्रोच करना ज्यादा समझदारी भरा और फायदेमंद कदम होगा।
इंश्योरेंस की सुविधा
होम लोन की तरह एजुकेशन लोन में भी इंश्योरेंस की सुविधा मुहैया कराई जाती है। लोन से संबंधित किसी तरह की कोई लायबिलिटी उस स्टूडेंट के परिवार पर नहीं आती। जावेद मोहनवी कहते हैं कि इंश्यारेंस के लिए ज्यादातर बैंक अलग से लोन देने के लिए तैयार रहते हैं।
चेकलिस्ट
लोन लेने के लिए स्टूडेंट्स को कुछ डॉक्यूमेंट्स देने होते हैं : 4स्टूडेंट की एकेडमिक डिटेल्स, जैसे 10वीं और 12 वीं कक्षा की मार्कशीट और सर्टिफिकेट। रेजिडेंस और एड्रेस प्रूफ।
जिस यूनिवर्सिटी से स्टूडेंट को आगे की पढाई करनी हो, उस संस्थान से कैंडीडेट को एडमिशन के लिए प्राप्त ऑफर लेटर।
उस इंस्टीट्यूशन या फिर यूनिवर्सिटी की फीस की डिटेल्स।
लोन का अमाउंट यदि अधिक हो, तो ऐसे में गारंटर्स की पर्सनल आईडेंटिफिकेशन और एड्रेस पू्रफ के साथ इन्कम टैक्स रिटर्न की फोटो प्रतियां। इन डॉक्यूमेंट्स के होने से बैंक भी लोन देने में ज्यादा वक्त नहीं लेंगे, साथ ही स्टूडेंट को भी लोन की राशि आसानी से मिल जाएगी। स्टडीज और एजुकेशन के लिए स्टूडेंट आसानी से लोन हासिल कर सकता है, शर्त केवल इतनी है कि वह इसके लिए पूरी पात्रता रखता हो।
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