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Bank Clerk Jobs-क्लर्क पदों की कैसे करें तैयारी

नई इबारत नई मंजिल
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Bank Clerk Jobsआजकल बैंकों (Banks) में नौकरी की बहार है। सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बैंकों (Public and Private Sector Banks) में बहुत अधिक संख्या में रिक्तियां (Vacancy) निकल रही हैं। दरअसल, इन दिनों बैंक अपनी सेवाओं का तेजी से विस्तार कर रहे हैं। अब बैंकों (Banks) ने सैलरी भी काफी बढा दी है। यही कारण है कि बैंक की नौकरियों से जुडने की इच्छा रखने वाले युवाओं के लिए स्वर्णिम अवसर हैं। बैंक ऑफ बडौदा (Bank of Baroda) में समय-समय पर क्लर्क पदों (Clerk Posts) के लिए आवेदन निकलते रहते हैं। यदि आप ऑनलाइन आवेदन (Online Application) करना चाहते है तो आप बैंक ऑफ बडौदा की वेबसाइट bankofbaroda.com के माध्यम से कर सकते हैं।


शैक्षिक योग्यता (Education Qualification)

जनरल कैंडिडेट (General Candidate) के लिए इंटरमीडिएट (Intermediate) में 55 प्रतिशत अंक या किसी भी विषय से ग्रेजुएशन (Graduation) अनिवार्य है। आरक्षण (Reservation) के दायरे में आने वाले कैंडिडेट्स को सरकारी नियमानुसार छूट का प्रावधान है।


उम्र सीमा  (Age Limit)

जनरल कैंडिडेट के लिए 18 से 28 वर्ष निर्धारित है। ओबीसी के लिए तीन वर्ष, एससी, एसटी अभ्यर्थियों के लिए अधिकतम उम्र सीमा में सरकारी नियमानुसार छूट का प्रावधान है।


(चुनाव की प्रक्रिया)   (Selection Procedure)

क्लर्क पद (Clerk Post) के लिए दो चरणों में परीक्षा आयोजित होगी। प्रथम चरण के अंतर्गत ऑब्जेक्टिव टाइप (Objective Type) के प्रश्न पूछे जाएंगे। इसमें रीजनिंग (Reasoning), क्लेरिकल एप्टीटयूड (Clerical Aptitude), न्यूमेरिकल एबिलिटी (Numerical Ability), इंग्लिश तथा सोशियो-इकोनॉमिक (England and Socio – Economic), बैंकिंग अवेयरनेस (Banking Awareness) और कम्प्यूटर अवेयरनेस (Computer Awareness) से संबंधित प्रश्न होंगे। जो अभ्यर्थी इस लिखित परीक्षा (Written Test) में उत्तीर्ण होंगे, उन्हीं को इंटरव्यू के लिए बुलाया जाएगा। इसमें सफल होने के बाद आपका अंतिम रूप से चयन हो जाएगा।


Bank clerk jobsतैयारी के लिए रणनीति  (Prepare Strategies)

अब प्राय: सभी बैंकों में गलत उत्तर देने पर निगेटिव मार्किग (Negative marking) का प्रावधान है। इससे बचने के लिए पहले से ही इस बात को गांठ बांध लें कि जिन प्रश्नों के उत्तर आप नहीं जानते हैं या जिनके बारे में आपको दुविधा है, उन्हें कभी भी सॉल्व नहीं करेंगे। किसी भी परीक्षा की तैयारी के लिए उसके सिलेबस (Syllabus) को एक बार देखना अनिवार्य है। यदि आप सिलेबस को नहीं देखेंगे, तो आप इसके लिए मुकम्मल तैयारी नहीं कर पाएंगे। आपके लिए सबसे आदर्श स्थिति यह है कि सर्वप्रथम सिलेबस पर एक नजर दौडाएं। यदि आप कुछ मार्गदर्शन के साथ-साथ बेहतर माहौल चाहते हैं, तो अच्छी कोचिंग की भी सहायता ले सकते हैं अथवा यदि आपके सीनियर्स प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे हों, तो आप उनसे भी कुछ सीख सकते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार वस्तुनिष्ठ परीक्षा (Competitive Examination) में यदि प्रश्नों को तेजी और शुद्धता से हल करने की आदत नहीं है, तो अधिकांश प्रश्नों का जवाब दे पाना संभव नहीं है। इसके लिए अधिक से अधिक संख्या में प्रश्नों को हल करने का अभ्यास करें और शुद्धता का भी पूरा ध्यान रखें। गणित के प्रश्नों को शॉर्टकट फार्मूले (Shortcut Formula) से हल करने का प्रयास करें। रीजनिंग और न्यूमेरिकल (Reasoning and Numerical) के लिए विश्वसनीय पुस्तक पढने के अलावा प्रतियोगिता पत्रिकाओं की मदद से प्रैक्टिस सेट हल करने की कोशिश करें। अंग्रेजी के लिए ग्रामर की प्रमाणिक पुस्तक जैसे रेन ऐंड मार्टिन (Red And Martin Grammar Book) आदि को पढें। इसके साथ ही राष्ट्रीय अंग्रेजी दैनिक समाचार पत्रों की सहायता से शब्द भंडार बढाते रहें।


प्रैक्टिस है जरूरी  (Practice)

ऑब्जेक्टिव परीक्षा (Objective Examination) में प्रश्न इस प्रकार के होते हैं, जिन्हें करीब-करीब हर अभ्यर्थी (Candidate) हल कर सकता है, लेकिन कम समय में बडी संख्या में प्रश्न हल करने होते हैं। ऐसी स्थिति में समयाभाव के कारण अधिकांश स्टूडेंट्स सभी प्रश्नों को ठीक ढंग से पढ भी नहीं पाते हैं। अगर आपको इसमें सफल होना है, तो कम समय में सही प्रश्नों का अधिक से अधिक उत्तर देने की कोशिश करनी होगी। इसके लिए अधिक से अधिक अभ्यास (Practice) करना ही एकमात्र बेहतर विकल्प है। लिखित परीक्षा में सफल होने के बाद इंटरव्यू के लिए बुलाया जाएगा। इसमें सफल होने के बाद आप इस पद के लिए योग्य माने जाएंगे।


अहम है टाइम मैनेजमेंट  (Time Management)

टाइम मैनेजमेंट का मतलब है स्पष्ट तौर पर तय किए गए लक्ष्यों को एक निश्चित समय में सफलतापूर्वक हासिल करना। असल में दोनों बातें एक दूसरे से जुडी हुई हैं। अगर लक्ष्य नहीं होगा तो टाइम मैनेजमेंट की जरूरत ही नहीं होगी। टाइम को ठीक से मैनेज नहीं करेंगे तो लक्ष्य पाना मुश्किल हो जाएगा। लक्ष्य या फिर प्राथमिकताएं तय करना टाइम मैनेजमेंट की पहली सीढी है। लक्ष्य तय हो तो उसे पाने का रास्ता आप आसानी से तैयार कर सकते हैं। इसके बाद आप अपने लिए एक रूटीन तैयार कर लें। इसका यह मतलब कतई नहीं कि एक टाइम टेबल बनाकर दीवार या अपनी मेज पर लगा लें और उस पर अमल करना भूल ही जाएं। ऐसा करेंगे तो आपकी मंजिल आपसे मीलों नहीं, कोसों दूर हो जाएगी। इसलिए अपने रूटीन पर बिल्कुल फोकस रहकर अमल कीजिए। यही टाइम मैनेजमेंट का की-फैक्टर है। आप देखें कि पिछले हफ्ते में अगर आप अपने रुटीन पर पूरी तरह अमल नहीं कर पाए हैं तो उस रही सही कसर को आने वाले हफ्तों में पूरा करने की कोशिश करें।


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