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Career in Software Testing-सॉफ्टवेयर टेस्टर के रुप में बनाएं अपना कॅरियर

नई इबारत नई मंजिल
नई इबारत नई मंजिल
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Software Testing किसीभी चीज का जब निर्माण होता है, तो उसको मार्केट में भेजने से पहले अच्छी तरह उसकी गुणवत्ता और कार्य करने की क्षमता को जांच लिया जाता है। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि मार्केट में जाकर उत्पाद अगर सही काम नहीं करता है, तो इसका नकारात्मक असर (Negative Impact) कंपनी की इमेज पर पडता है। सभी कंपनियां इस विषम परिस्थिति से बचना चाहती हैं। सॉफ्टवेयर (Software) बनाने वाली कंपनियां भी इससे अछूती नहीं हैं, इसलिए वे अपने यहां टेस्टरों की नियुक्ति करती हैं। सॉफ्टवेयर (Software) की फील्ड में अगर टेस्टिंग (Testing) की बात की जाए, तो सन 1980 के बाद इस सेक्टर में टेस्टिंग के कार्य को एक अलग व्यवसाय के रूप में देखा गया था।


आर्थिक कारण और टेस्टिंगकरेप्ट सॉफ्टवेयर के कारण सभी देशों को बडे पैमाने पर आर्थिक हानियों का भी सामना करना पडता है। सन 2002 में एनआईएसटी (National Institute of Standards and Technology) द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार, सॉफ्टवेयर करेप्ट (Software Corrupt) होने से अमेरिकी अर्थव्यवस्था (U.S. Economy) को तकरीबन 60 अरब डॉलर का नुकसान हुआ था। अगर उस समय अच्छे सॉफ्टवेयर टेस्टर (Software Tester) मौजूद होते, तो इस लागत का कम से कम एक तिहाई बचाया जा सकता था। इस तरह की आर्थिक हानियों को कम करने के लिए आज सभी विकसित और विकासशील देशों में सॉफ्टवेयर टेस्टरों (Software Testers) की अच्छी खासी संख्या में जरूरत महसूस की जा रही है।


सॉफ्टवेयर टेस्टर (Software Tester)

सॉफ्टवेयर कम्प्यूटर प्रोग्राम (Software Computer Programs) का समूह होता है, जिससे कंप्यूटर द्वारा कार्य संपादित किया जाता है। तकनीकी दृष्टि से यह तीन प्रकार का होता है, सिस्टम सॉफ्टवेयर (System Software), प्रोग्रामिंग सॉफ्टवेयर (Programming Software) और अनुप्रयोग सॉफ्टवेयर (Application Software)। सॉफ्टवेयर टेस्टिंग (Software Testing) का पूरा कार्य सत्यापन और प्रमाणीकरण पर आधारित है। सत्यापन में यह देखा जाता है कि जिन उद्देश्यों को ध्यान में रखकर सॉफ्टवेयर बनाया गया है, वह उसकी पूर्ति करता है कि नहीं। वहीं प्रमाणीकरण में एक ग्राहक के नजरिए से इसकी गुणवत्ता आंकी जाती है। सॉफ्टवेयर टेस्टर सॉफ्टवेयरों की जांच का काम करते हैं।


मैजिक ग्रोथ  (Magic Growth)

विश्वव्यापी आर्थिक मंदी के दौर में आईटी (Information Technology) से संबंधित कई फील्डों में गिरावट दर्ज की गई थी, लेकिन उस दौर में भी सॉफ्टवेयर टेस्टिंग (Software Testing) का कारोबार आगे बढता रहा। अगर भारत की बात की जाए तो विश्व में जितना भी सॉफ्टवेयर टेस्टिंग (Software Testing) का काम होता है उसका तकरीबन 40 प्रतिशत से अधिक भारत से ही किया जाता है। आने वाले एक या दो वर्षो में ही इस कारोबार में भारत का हिस्सा लगभग 60 प्रतिशत तक हो जाने की उम्मीद है। यह परिस्थितियां उन लोगों के लिए वरदान साबित होंगी, जो सॉफ्टवेयर टेस्टर (Software Tester) के रूप में अपने आप को स्थापित करना चाहते हैं।


कैसे हैं कोर्स  (Courses)

Software Testingअगर आप इस क्षेत्र में जाकर भविष्य संवारना चाहते हैं, तो इससे संबंधित कई तरह के कोर्सो में से किसी एक का चयन कर सकते हैं। देश के कई प्रमुख संस्थान इसके लिए डिप्लोमा और डिग्री कोर्सो (Diploma and Degree Course) का संचालन कर रहे हैं। सॉफ्टवेयर टेस्टिंग (Software Testing) के कोर्स ज्यादा अवधि के नहीं हैं और इनमें से अधिकतर की अवधि एक से छ: माह (Six Months) ही है। अगर आप इस फील्ड में जाना चाहते हैं तो एडवांस डिप्लोमा इन सॉफ्टवेयर टेस्टिंग (Advance Diploma in Software Testing), डिप्लोमा इन सॉफ्टवेयर क्वालिटी मैनेजमेंट, (Diploma in Software Quality Management) डिप्लोमा इन सॉफ्टवेयर टेस्टिंग (Diploma in Software Testing) आदि कोर्स कर सकते हैं। अधिकतर संस्थानों में प्रवेश कडी प्रतिस्पद्र्घा के बाद ही मिलता है। ऐसे संस्थान प्रवेश के लिए बीएससी (BSc), एमएससी (MSc), बीई, बीटेक (BTech),एमटेक, MTech जैसी शैक्षिक योग्यता मांगते हैं। जो लोग अंग्रेजी भाषा (English Language) को अच्छी तरह बोलने और समझने में सक्षम हैं, उनके लिए यह फील्ड वरदान साबित हो सकती है।


लीडरशिप क्वालिटी जरूरी  (Leadership Quality)

इस फील्ड में जो लोग जाना चाहते हैं, उन्हें नए आए सभी सॉफ्टवेयरों (Softwares) के बारे में जानकारियां रखना आवश्यक है। जिन लोगों के अंदर जल्दी सीखने और उसे दूसरे को समझाने की काबिलियत है, यह फील्ड उन्हीं लोगों के लिए है। आमतौर पर सॉफ्टवेयर टेस्टिंग (Software Testing) का काम एक टीम के रूप में किया जाता है। टीम के सभी सदस्यों का कार्य विभाजित होता है। इसमें आमतौर पर सफलता उसी को मिलती है, जिनके अंदर लीडरशिप क्वालिटी (Leadership Quality) होती है।


बेहतर काम, अच्छा दाम

काफी तेजी से हो रहे विस्तार के बाद भी इस फील्ड में अच्छे जानकारों की कमी है। टीसीएस (Tata Consultancy Services), विप्रो (Wipro), सत्यम (Satyam), इंफोसिस (Infosys) आदि कंपनियां ऐसे लोगों की तलाश में रहती हैं, जो सॉफ्टवेयर टेस्टिंग (Software Testing) का काम बखूबी कर सकें। जो लोग उनके पैमाने पर खरे उतरते हैं, उन्हें सैलरी (Salary) भी बहुत अच्छी ऑफर की जाती है। अच्छा सॉफ्टवेयर टेस्टर (Software Tester) विदेश में भी आसानी से नौकरी (Job) पा सकता है। इस क्षेत्र में देश में काम कर रही सभी बडी कंपनियां इसका प्रशिक्षण देने वाले संस्थानों में जाकर कैंपस सेलेक्शन (Campus selections) भी करती हैं।


फ्यूचर ब्राइट  (Bright Future)

आईटी सेक्टर (Information Technology Sector) में देश किसी पहचान का मोहताज नहीं है। सॉफ्टवेयर हो या फिर हॉर्डवेयर की फील्ड दोनों में ही भारत अग्रणीय है। एक अनुमान के अनुसार सन 2020 तक भारतीय आईटी इंडस्ट्री (Indian Information Technology Industry) का निर्यात कारोबार (Export Business) तकरीबन 178 अरब डॉलर का हो जाएगा। इसके से एक बडा हिस्सा सॉफ्टवेयर टेस्टिंग की फील्ड का होगा, क्योंकि भारतीय टेस्टर उच्च कोटि के सॉफ्टवेयरों का काफी कम समय में सफलता के साथ टेस्ट कर रहे हैं। भारतीय टेस्टर (Software Tester) टेस्टिंग की कार्ययोजना के निर्माण से लेकर उसको सफलता पूर्वक अंजाम तक पहुंचाने में पूरी तरह निपुण हैं। उनकी यह काबिलियत आईटी फील्ड में भारत के कदमों को आगे बढाने का काम कर रही है।


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