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गर्मी के सीजन में घनी आबादी वाले इलाकों, इंडस्ट्रियल एरिया, जंगलों आदि में आग लगने की घटनाएं तेजी से बढ जाती हैं। कई बार तो एक ही इलाके में एक साथ कई जगह भीषण आग लगने की घटनाएं इतनी चुनौतीपूर्ण हो जाती हैं कि उससे निपटने के लिए फायर ब्रिगेड के कर्मियों को अपनी जान जोखिम में भी डालनी पड़ जाती है। यह चुनौती फैक्टरियों और घनी आबादी वाले इलाकों में कहीं ज्यादा होती है। आग चाहे जिस कारण लगी हो, लेकिन उसकी सूचना मिलते ही फायरब्रिगेड टीम (Fire Brigade Team) वहां फटाफट पहुंचकर उसे बुझाने और राहत पहुंचाने में तत्परता से जुट जाती है। आग से बचाव के लिए अब भले ही आधुनिक इमारतों में और ऑफिसों में एंटीफायर सिस्टम (Anti Fire System) लगाया जाने लगा हो और वहां नो-स्मोकिंग जोन बनाया जा रहा हो, लेकिन अभी भी आग लगने की घटनाओं को पूरी तरह रोका नहीं जा सका है। आग बुझाने और राहत पहुंचाने के लिए महानगरों से लेकर छोटे-छोटे शहरों तक में फायर ब्रिगेड डिपार्टमेंट (Fire Brigade Department) होता है। फायर इंजीनियरिंग (Fire Engineering) में अध्ययन करने वाले इस विभाग में लिए जाते हैं। यह फील्ड उन युवाओं के लिए बेहद उपयुक्त है, जो रोमांच की दुनिया में करियर बनाने के साथ-साथ मानवता की सेवा करने की भावना भी रखते हैं।
डिमांड में फायरकर्मी
आज चलती कारों में, बडे-बडे मॉल्स में, सुरक्षित मानी जाने वाली ऊंची-ऊंची इमारतों में आग लगने की बढती घटनाओं को देखते हुए फायर सेफ्टी (Fire Safety) के नियम कडे कर दिए गए हैं। ऐसे में जाहिर है फायर टेक्नोलॉजी (Fire Technology) में प्रशिक्षित कर्मचारियों की मांग भी बढेगी, लेकिन एक बडी तब्दीली यह आई है कि पहले जहां केवल फायर बिग्रेड (Fire Brigade) में ही इन कर्मचारियों की जरूरत होती थी, अब कोई भी इमारत खडी होने से पहले ही फायर इंजीनियर (Fire Engineer) की जरूरत महसूस होने लगी है। अब आग लगे ही नहीं, इसलिए सुरक्षा उपायों को पहले से मजबूत करने पर जोर दिया जाने लगा है। आजकल हर जगह इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेस का बोलबाला है। ऐसे में शार्ट सर्किट से आग लगने का अंदेशा हमेशा बना रहता है। यही कारण है कि हर जगह अग्निरोधी मानकों को बहुत महत्व दिया जाने लगा है। इस तरह के काम में फायर इंजीनियर एक्सपर्ट्स होते हैं। मौजूदा दौर में इनकी काफी डिमांड है। फायर इंजीनियरिंग के एक्सपर्ट्स की बढती डिमांड को देखते हुए बेहतर कॅरियर की तलाश कर रहे युवा बडी संख्या में इस क्षेत्र में एंट्री कर रहे हैं।
कैसे पाएं एंट्री
नेशनल फायर सर्विस कॉलेज, नागपुर द्वारा बीई इन फायर डिग्री कोर्स कराया जाता है। इसकी अवधि साढे तीन वर्ष है। इसमें प्रवेश के लिए ऑल इंडिया एंटे्रंस एग्जाम (All India Entrance Exam) होता है। केमिस्ट्री के साथ फिजिक्स या गणित विषय सहित 50 प्रतिशत अंकों के साथ बारहवीं उत्तीर्ण और 19-23 वर्ष की उम्र के युवा इसके लिए आवेदन कर सकते हैं। पुरुषों के लिए न्यूनतम लंबाई 165 सेंटीमीटर, वजन 50 किग्रा तथा महिलाओं के लिए न्यूनतम लंबाई 157 सेंटीमीटर, वजन 46 किग्रा अनिवार्य है। आई विजन 6/6 होना चाहिए। इसमें प्रवेश के लिए लिखित परीक्षा हर साल दिसंबर माह में होती है। इस परीक्षा में दो सेशन होते हैं। पहला सेशन जनरल अंग्रेजी तथा सामान्य ज्ञान का, दूसरा जनरल साइंस व मैथ्स का होता है। लिखित परीक्षा केन्द्र मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, नई दिल्ली तथा नागपुर में हैं। जूनियर लेवल पर फायर प्रोफेशनल्स की ट्रेनिंग स्टेट फायर ट्रेनिंग स्कूलों में होती है, जबकि ऑफिसर की ट्रेनिंग नेशनल फायर सर्विस कॉलेज, नागपुर में की जाती है।
काम का स्वरूप
फायर इंजीनियर्स का मुख्य कार्य आग लगने के कारणों और उसे रोकने के उपायों पर विश्लेषण करना होता है। आग लगने पर फायर इंजीनियर्स आग पर नियंत्रण पाने के लिए तुरंत स्ट्रेटजी बनाते हैं, इनके दिशा निर्देशों पर ही अग्निशमन कर्मचारी (Fire Staff) कार्य करते हैं।
कहां होती है जरूरत
महानगरों में जहां कई फायर स्टेशन होते हैं, वहीं देश के हर जिले में फायर स्टेशन होता है। दिल्ली इंस्टीट्यूट ऑफ फायर इंजीनियरिंग के चेयरमैन वीरेन्द्र गर्ग सरकारी नियमों का हवाला देते हुए बताते हैं कि आज हर सरकारी या निजी कंपनी में एक फायर इंजीनियर की नियुक्ति करना अनिवार्य बना दिया गया है। आंकडों पर नजर डालें, तो करीब दो हजार फायर स्टेशनों में मात्र करीब सत्तर हजार प्रोफेशनल्स सब-ऑफिसर, स्टेशन ऑफिसर, डिवीजनल ऑफिसर आदि पदों पर काम कर रहे हैं। आने वाले दिनों में फायर प्रोफेशनल्स की कमी को देखते हुए इस क्षेत्र में नौकरियों (Jobs) में वृद्धि की व्यापक संभावनाएं हैं। फायर इंजीनियर की आवश्यकता अग्निशमन विभाग के अतिरिक्त आर्किटेक्चर और बिल्डिंग निर्माण, इंश्योरेंस एसेसमेंट, प्रोजेक्ट मैनेजमेंट, रिफाइनरी, प्लास्टिक, एलपीजी तथा केमिकल्स प्लांट, सरकारी विभागों, एयरक्राफ्ट आदि क्षेत्रों में होती है। अब तो प्राइवेट कंपनियों में भी फायर प्रोटेक्शन के प्रति लोगों में जागरूकता के चलते फायर इंजीनियर को अप्वाइंट किया जाने लगा है। फायर इंजीनियर इंश्योरेंस सर्वेयर के तौर पर बीमा कंपनियों में भी कार्यरत हैं।
रोमांचक करियर के साथ सेवा भी
प्रशिक्षित लोगों की मांग
प्रवेश के लिए ऑल इंडिया एंट्रेंस एग्जाम
आयु सीमा 19 से 23 वर्ष
इंस्टीट्यूट वॉच
फायर इंजीनियरिंग कोर्स मुख्यत: नेशनल फायर सर्विस कॉलेज, नागपुर द्वारा संचालित किया जाता है। हालांकि अब देश के कई बडे शहरों में स्थित निजी संस्थान भी फायर इंजीनियरिंग से संबंधित सर्टिफिकेट, डिप्लोमा तथा पीजी डिप्लोमा इत्यादि कोर्स कराते हैं। इनमें से प्रमुख हैं:
नेशनल फायर सर्विस कॉलेज, पालम रोड, सिविल लाइन, नागपुर वेबसाइट : nfscngp. sanchar.net.in
दिल्ली इंस्टीट्यूट ऑफ फायर इंजीनियरिंग, जी-579 राजनगर, सेक्टर-7, द्वारका, नई दिल्ली वेबसाइट : dife.in
इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फायर इंजीनियरिंग, सेफ्टी ऐंड सिक्युरिटी मैनेजमेंट, पुणे वेबसाइट : nifsindia.net
हैदराबाद इंस्टीट्यूट ऑफ फायर इंजीनियरिंग, हैदराबाद, आंध्र प्रदेश वेबसाइट : hifehyd.com
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