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रिटेल को सिर्फ दुकान कहना ठीक न होगा। क्योंकि दुकान में तो सिर्फ जरूरत का सामान मिलता है, लेकिन यहां तो सपने बिकते हैं। वो सपने जो हमारे साथ देश की तकदीर को भी नया सवेरा दे रहे हैं। हाल ही में सरकार ने 1991 के बाद सुधारों के दूसरे दौर का बिसमिल्लाह करते हुए मल्टीब्रांड रिटेल सेक्टर में 51 फीसदी एफडीआई की घोषणा की है, जिसके चलते देश में रोजगार के नए अवसर जवां हुए हैं। इसकी खास बात यह है कि यहां निचले से लेकर शीर्ष तक हर स्तर पर काम करने के मौके मौजूद हैं। कहने का अर्थ यह कि अब चाहे खेतों में काम करने वाला सामान्य किसान हो या फिर आईआईएम जैसे संस्थानों से निकले सुपर ब्रेन, सभी रिटेल में विदेशी निवेश के इस ताजा फैसले से लाभ की स्थिति में हैं। केवल रोजगार के ही मोर्चे पर ही नहीं कडे कंपटीशन, उचित मूल्य, बेहतर गुणवत्ता वाले उत्पाद के जरिए आम भारतीय उपभोक्ता भी इससे खासे फायदे में रहने वाले हैं।
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जानो क्या है रिटेल
रिटेल सेक्टर में अमूमन फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स आते हैं। इसका मतलब उन उत्पादों से है, जिनका रोजमर्रा की जिंदगी में इस्तेमाल होता है। सुबह उठने से लेकर रात सोने तक हर समय हमें इनकी जरूरत पडती है। डिब्बाबंद खाना, पीना, सौंदर्य प्रसाधन, साबुन, तेल, टूथपेस्ट, कपडे, लग्जरी आइटम इसी में आते हैं। ऐसा नहीं है कि पहले इन चीजों की जरूरत नहीं होती थी, दरअसल बिखरी उत्पादन की लडियों और कमजोर आर्थिक स्थिति के चलते इनकी मांग देश में न के बराबर थी। इसे इंडस्ट्री तो कहा ही नहीं जा सकता था। पर आज स्थिति दूसरी है। इन दिनों डेली इस्तेमाल की चीजें एयरकंडीशन मॉल्स में बिक रही हैं। उपभोक्ता कीजरूरत, आराम, विलास से जुडा हर सामान यहां एक छत के नीचे उपलब्ध है। इस सेक्टर को कई बार सीपीजी यानि कंज्यूमर पैक्ड गुड्स केनाम से भी जाना जाता है। यहां मूल रूप से सीपीजीउत्पादन, वितरण, विपणन से संबंधित काम अंजाम दिए जाते हैं। सरकार ने हाल ही इस क्षेत्र को विदेशी कंपनियों के लिए खोलकर यहां अवसरों को एक और सीढी दे दी है।
रिटेल की इकोनॉमी
इस इंडस्ट्री में बाजारों में रोजमर्रा के उपयोग में आने वाली पैक्ड चीजों के उत्पादन, विपणन, ब्रांडिंग का काम होता है। असल में यहां उत्पादों की सप्लाई चेन कुछ यूं रखी गई है कि हर च्वाइस, हर वैरायटी की चीज कंज्यूमर के जद में हों। इस क्षेत्र के बढते आकार के चलते यहां उत्पादकों के बीच प्रतिस्पर्धा व निवेश प्रतिशत भी बढ रहा है। यही कारण है कि बीते एक दशक में यह क्षेत्र देश का चौथा सबसे बडा सेक्टर बन गया है, जो अपने कुल 13.3 मिलियन डॉलर के मार्केट साइज के साथ निवेशकों की पहली पसंद है। स्वयं बाजार विश्लेषकों केमुताबिक बीते चार सालों में ग्रोथ रेट लगातार 60 फीसदी के आसपास है व इसमें काम कर रहे लोगों का प्रतिशत भी साल दर साल बढ रहा है। ऐसे में जब बाकी सेक्टर वैश्विक मंदी की आशंका में ठिठके दिख रहे हैं। इस सेक्टर की जोरदार ग्रोथ कॅरियर फ्रंट पर अलग पहलू पेश कर रही है।
मिलेंगे कई फायदे
जब भी कोई इंडस्ट्री कहीं स्थापित होती है, तो उसके कई फायदे होते हैं। इनमें कुछ प्रत्यक्ष होते हैं तो कुछ अप्रत्यक्ष भी होते हैं। सामने दिखने वाले फायदों का तो असर कुछ ही दिन में सामने आ जाता है?मगर अप्रत्यक्ष फायदों का चेहरा दिखने में वक्त लगता है। रोजगार के नए अवसर, ढांचागत सुविधाओं का निर्माण, नई कंज्यूमर्स हैबिट, उत्पादकों के फायदों में बढोत्तरी, लागत में कमी, किसानों/उत्पादकों के शोषण से बचाव, मध्यस्थों/ बिचौलियों से मुक्ति, उत्पादों की बर्बादी से बचाव, गुणवत्ता क ा महत्व, उपभोक्ताओं के पास नए-नए फायदेमंद विकल्प आदि इससे होने वाले कुछ सीधे फायदे हैं, वहीं इसके जरिए उद्यमिता में बढोत्तरी, नई कार्य संस्कृति का जन्म अलग से होगा।
क्वालीफिकेशन है अहम
आज की तारीख में एफएमसीजी सेक्टर में सेल्स से लेकर एचआर, ब्रांडिंग, क्रिएटिव इनपुट्स देने वाले लोग काम करते हैं। इनकी योग्यता का दायरा एमबीए, डिप्लोमा इन रिटेल, मार्केटिंग, सेल्स जैसे कोर्सो से लेकर साधारण ग्रेजुएशन तक फैला हुआ है।
स्किल्स से खुलेगा जीत का सुडोकू
अलावा बढिया कम्यूनिकेशन, ऑर्गेनाइजेशनल स्किल्स, कैलकुलेशन पॉवर, फ्लेक्सीबल अप्रोच भी इस सेक्टर में काम आते हैं। बकौल विशेषज्ञ इस फील्ड में ये सभी स्किल्स यहां के भिन्न-भिन्न कार्यक्षेत्रों जैसे एचआर, मार्केटिंग, सेल्स, फाइनेंस जैसे क्षेत्रों में आपको फायदा पहुंचाती हैं।
रिटेल: क्यों है हॉट फेवरेट
मल्टीब्रांड रिटेल सेक्टर में देश के खुले दरवाजों के चलते जल्द ही भारत में भी रिटेल जगत के बडे-बडे नाम होड करते दिखेंगे और खोलेंगे ऐसा पिटारा जिसमें पैबंद होंगी आम उपभोक्ताओं से लेकर हमारे अन्नदाता किसानों की खुशियां..
रिटेल सेक्टर का काफी कुछ दारोमदार स्थानीय बाजार, उपभोग के स्तर,उपभोक्ताओं की संख्या, घरेलू श्रम पर होता है। संयोग से ये सभी चीजें भारत में भरपूर मात्रा में हैं। लिहाजा रिटेल कंपनियों के लिए तो भारत एक परफे क्ट जगह है, जहां वे न केवल अपनी तरक्की का सागर खंगाल सकते हैं बल्कि देश के युवाओं को हर सीजन के लिए खरा कॅरियर विकल्प भी मुहैया कराएंगे। माना जा रहा है कि देश के वर्तमान माहौल, लोगों के ऊंचे होते जीवन स्तर, उपभोक्तावाद के पसरते पांवों के बीच भारत में रिटेल मार्केट का बाजार हर दम गर्म रहने वाला है।
मार्केट पोटेंशियल है जोरदार
हालिया समय देखते हुए रिटेल आज ज्यादातर कॅरियर च्वॉइसों पर इक्कीस बैठ रहा है। दरअसल इस सेक्टर में लो ऑपरेशन कॉस्ट इसे सबके लिए मुफीद बनाती है। इसकेअलावा मजबूत डिस्ट्रीब्यूटिंग नेटवर्क, विशाल जनसंख्या देश में इसकी तरक्की को दोगुना कर रही है। जानकार कहते हैं कि देश में मौजूदा परिस्थितियों में इस सेक्टर की ग्रोथ मिथक नहीं, सच्चाई है। ऐसे में यदि युवा अपने कॅरियर के मिथकों को बदलना चाह रहे हैं तो रिटेल इंडस्ट्री सही ठिकाना है।
मंदी में और भी तेज
हालिया यूरोपीय मंदी, ऋण संकट का असर पूरी दुनिया में देखने को मिल रहा है। अब तक मंदी में सुरक्षित रहे भारत व चीन भी इससे प्रभावित हैं। लेकिन रिटेल इंडस्ट्री की सेहत इन सबसे बेअसर है। आम लोगों की रोजाना की जरूरतों से जुडे होने के कारण इसकी ग्रोथ भी बरकरार है। अभी भी शेयरमार्केट में वालमार्ट ,मेट्रो, टेस्को, क्रोगस, कोस्टको, एल्डी जैसी रिटेल कंपनियां के शेयर गेम चेंजर की भूमिका में हैं।
विकल्पों का रंगीला संसार
रिटेल सेक्टर के तेज विस्तार ने यहां युवाओं को बेहतरीन मौके दिए हैं। यह एक ऐसा सेक्टर है, जहां आपको कई अलग-अलग क्षेत्रों में काम करने का मौका मिलता है। सेल्स, सप्लाई चेन, फाइनेंस, मार्केटिंग, ऑपरेशन्स, परचेजिंग, ह्यूमन रिसोर्स, प्रोडक्ट डेवलपमेट, जनरल मैनेजमेंट के रूप में काम के कई अवसर हैं।
जॉब सेक्योरटी है बडा प्लस प्वांइट
कहा जाता है कोई व्यक्ति गाडी खरीदने का आइडिया एक बार छोड सकता है, लेकिन रात का खाना. जी नहीं। यह तो उसकी जरूरत में शुमार है। बस यही तथ्य आज सेक्टर की स्थिरता का कारण है। जहां मंदी में ऑटोमोबाइल, मीडिया, आईटी, एविएशन जैसे क्षेत्रों में प्रोफेशनल्स के सिर पर तलवार लटकने लगती है, वहीं इस क्षेत्र की विकास दर यहां काम करने वालों का भविष्य सेक्योर बनाती है।
बडे मार्केट से बनी बात
आज देश की आबादी एक अरब के ऊपर है और इनमें से हर कोई उपभोक्ता है, जो किसी न किसी तरह से इस सेक्टर से जुडा हुआ है। यही कारण है कि इस सेक्टर की गिनती आज देश की सबसे बडी इंडस्ट्रीज में होती है। यहां काम करना आपके कॅरियर और आने वाले भविष्य दोनों ही लिहाज से बेहतर है।
अनुभव से आएगा परफेक्शन
रिटेल सेक्टर में एक ही व्यक्ति को कई तरह के दायित्व निभाने पडते हैं। बडी कंपनियों में तो सेल्स से मार्केटिंग, मार्केटिंग से ब्रांड में ट्रांसफर आम होते हैं। इन सबके चलते यहां काम करने वाले लोगों को थोडी ही अवधि में अच्छा वर्क एक्सपीरियंस हो जाता है।
क्रिएटिविटी दिखाने का पूरा मौका
रिटेल में क्रिएटिविटी! चौकिए मत। आज इस क्षेत्र में भी कंपनियां अपने इम्प्लाई से क्रिएटिव अप्रोच की अपेक्षा करती है। दरअसल आज बढती प्रतिस्पर्धा, दूसरों से अलग दिखने की रेस में कंपनी को प्रोडक्शन, एडवरटाइजमेंट, ब्रांडिंग में क्रिएटिव लोगों की दरकार होती है।
काम देश के पार भी
आज ज्यादातर मल्टीनेशनल कंपनियों के विदेशों में भी ऑफिस हैं, जहां काम करने के लिए अमूमन ये कंपनियां अपने इम्प्लाईज को विदेश भेजती हैं। कई बार तो लॉन्ग टर्म प्रोजेक्ट्स पूरा करने के लिए इन इम्प्लाईज को महीनों विदेश में ही रहना पडता है। अगर आप विदेश में नौकरी करना चाहते हैं, तो आप अपनी योग्यता और स्किल बढाकर विदेश भी जा सकते हैं। इस क्षेत्र में आपको काफी अवसर मिलते हैं। यही कारण है कि इस क्षेत्र में देश भर के काफी युवा किस्मत आजमाते हैं और हैवी सैलरी लेकर कॅरियर की ऊंची उडान देते हैं। अगर कम्युनिकेशन स्किल अच्छी है तो आपके लिए भी अवसर है।
रिटेल के टॉप सेक्टर
रिटेल सेक्टर में हर कोई अपनी क्षमता व योग्यता के हिसाब से काम पा सकता है। आप बिजनेस पोस्ट ग्रेजुएट हैं, डिमांड सप्लाई के काम से जुडे हैं या फिर अपने खुद के काम की गुंजाइश तलाश रहे हैं इस इंडस्ट्री में करने को बहुत कुछ है..
फाइनेंस
कंपनी की वित्तीय गतिविधियों की देखभाल करना फाइनेंस डिपार्टमेंट की जिम्मेदारी होती है। इस सेक्शन में काम करने वालों को कंपनी के वित्तीय रिकॉर्ड, अकाउंट्स संबंधी गतिविधियों पर नजर रखनी होती है।
परचेजिंग
उत्पादन लागत को कम करते हुए बेहतर गुणवत्ता वाली चीजों का उत्पादन परचेजिंग डिपार्टमेंट की खासियत है। यहां पर तकनीकी दक्षता के साथ वित्तीय गतिविधियों में निपुण लोगों को जगह मिलती है। अगर आप टेक्नोक्रेट हैं तो आपके लिए बेहतर विकल्प है।
जनरल मैनेजमेंट: काम दिलाएगा कामयाबी
संस्थान में चीजों को किस तरह अमल में लाया जाना है, उनका प्रारूप कैसा रहना है आदि पर जनरल मैनेजमेंट का नियंत्रण होता है। इस काम के लिए इंडस्ट्री के सबसे अनुभवी व कार्यदक्ष लोगों को चयनित किया जाता है।
प्रोडक्ट डेवलेपमेंट: दिलाएगा पहचान
रिटेल में तेज कंपटीशन के चलते यहां प्रोडेक्ट डेवलपमेंट एक अहम काम बन चुका है। इसमें उत्पादों से जुडी रिसर्च, पॉलिसी, स्ट्रेटेजी, डेवलपमेंट जैसी चीजों को निर्देशित किया जाता है। आपकी रुचि प्रोडक्ट डेवलेपमेंट में है तो आपके लिए बेहतर है।
सेल्स: रहेंगे फायदे में
यहां पर वर्क एक्सपीरियंस व एकेडेमिक्स के आधार पर कैंडिडेट्स को जगह दी जाती है। यहां काम करने वाले सेल्स व मार्केटिंग ऑफिसर्स को इंडस्ट्री के फायदे व उसकी दर का अनुमान लगाना होता है। ग्रोथ रेट बरकरार रखने के लिए की जाने वाली मार्केट प्लानिंग, मार्केट शेयर प्रबंधन भी इनक ाकाम होता है।
एचआर
संस्थान में कार्यशक्ति के बेहतर, सुनियोजित इस्तेमाल में एचआर का बडा योगदान होता है। इसे देखते हुए रिटेल सेक्टर में आज एचआर प्रोफेशनल्स के लिए काम की अच्छी संभावनाएं हैं। कार्य परिस्थितियों की बात करें तो यह क्षेत्र महिलाओं के लिए अनकूल है।
सप्लाई चेन: सेक्टर की लाइफ लाइन
कंपनी में बने उत्पाद तय समय में आउटलेट व डिस्ट्रीब्यूटर्स तक पहुंचे, इसकी जिम्मेदारी सप्लाई चेन की होती है। यहां दबाव व विपरीत परिस्थितियों में बेहतर प्रदर्शन मायने रखता है। अगर आपमें धर्य है तो विपरीत परिस्थितियों में कार्य कर सकते हैं।
ऑपरेशन्स
आग से निखरेगा सोना-रिटेल में उत्पादन के साथ उनकी गुणवत्ता बरकारार रखना बडी चुनौती होती है। ऑपरेशन्स केअंतर्गत यही सब चीजें नियंत्रित व निर्देशित की जाती हैं। यहां तकनीकी क्षेत्र का कार्य अनुभव रखने वालों की खास जरूरत है।
एफएमसीजी: एफएमसीजी मार्केट साइज
डिटर्जेट – 12000
पर्सनल वॉश (साबुन, लिक्विड वॉश)- 8300
फूड सेगमेंट – 4600
हेयरकेयर- 3800
स्किन केयर- 3400
ओरलकेयर (टूथपेस्ट, माउथवॉश आदि)- 3500
शम्पू – 2700
(सभी आंकडे करोड रुपए में)
एफएमसीजी: फैक्ट फाइल
-देश का चौथा सबसे बडा सेक्टर
-13.1 बिलियन डॉलर मार्केट साइज
-2015 तक 33.4 बिलियन डॉलर के पार पहुंचने की उम्मीद (सीआईआई)
-देश के जीडीपी में 2.15 फीसदी की हिस्सेदारी।
-टॉप 100 ब्रांड्स में 62 ब्रांड्स एमएनसीज के
-पर्सनल केयर, सिगरेट्स, सॉफ्ट ड्रिंक हैं एफएमसीजी की तीन सबसे बडी कैटागिरी।
-3 मिलियन लोगों को दे रहा रोजगार
-लो ऑपरेशनल कॉस्ट/कम लागत बन रही वरदान
-निर्यात की हैं असीम संभावनाएं
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