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काम की है यह डिस्टेंस लर्निंग

नई इबारत नई मंजिल
नई इबारत नई मंजिल
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सच कहा गया है कि आदमी को हर वक्त सीखने के लिए तैयार रहना चाहिए और उसके लिए उम्र, जगह, परिस्थितियां बाधक नहीं होती. यदि आप भी ऐसा सोचते हैं तो दूरस्थ शिक्षा के बहाने खुद को जॉब मार्केट की जरूरत में तब्दील कर सकते हैं. इन दिनों नए-नए कोर्सो के माध्यम से खुद को लगातार अपडेट करते हुए जॉब लायक बनाने में दूरस्थ शिक्षा बेहतरीन प्लेटफॉर्म साबित हो रही है. अब बात चाहें नौकरी करते हुए क्वालीफिकेशन बढाने की हो या घर- गृहस्थी की उलझनों के बीच खुद को नई पहचान देने की. दूरस्थ शिक्षा सभी के लिए शिक्षा की ऐसे उजली राह है जहां अवसरों की तो कोई कमी नहीं है.


डिस्टेंस लर्निंग, मतलब कम में बहुत

इन दिनों पढाई लिखाई के बुनियादी तरीकों में फर्क आया है. कक्षा के परंपरागत माहौल में आज इंटरनेट ,ऑनलाइन नोट्स, नोट्स शेयरिंग, डिजिटल नोट्स, यूट्यूब, एजूकेशनल लेक्चर जैसी चीजें तेजी से अपनी जगह बना रही हैं. इन माध्यमों की खासियत है कि इसमें आपको कक्षा में हाजिर रहकर पढाई लिखाई करने की दरकार नहीं होती. ठीक इसी तरह डिस्टेंस एजूकेशन के रूप में शिक्षा जगत में एक बडा बदलाव देखा जा रहा है, जिसके चलते आज बगैर क्लास अटेंड किए ऊंची शिक्षा व डिग्री सुनिश्चित संभव हुई है वो भी कम फीस में. आप किसी भी प्रोफेशन से संबधित हों, देश के किसी भी हिस्से में रहते हों, आगे पढने व बढने की चाह है तो शिक्षा का यह प्रारूप खासा सुविधाजनक है. अब तो देश के करीब-करीब हर शहर में डिस्टेंस एजूकेशन लर्निग सेंटर हैं. जहां खुद को रजिस्टर्ड कराकर आप अपनी डिग्री व योग्यता दोनों बढा सकते हैं.


क्यों बनी आज की जरूरत

हालिया जॉब्स ट्रेंड्स को देखें तो हम पाते हैं कि युवाओं की जॉब में प्रवेश करने की औसत आयु कम हुई है. कई बार 10+2 के बाद तो कभी स्नातक पूरा करने के पहले ही छात्र नौकरी पा लेते हैं. इस दौरान उनको बढिया पैकेज पर नौकरी तो मिल जाती है लेकिन उनका एजूकेशनल वैल्यूएडीशन रुक जाता है. ऐसे में जॉब क्षेत्र में रंग जमाने में डिस्टेंस लर्निग प्रोग्राम उपयोगी हो सकते हैं. कहा गया है कि पढाई कभी भी बेकार नहीं जाती, वो जिंदगी के किसी न किसी मोड पर आपको फायदा जरूर पहुंचाती है. कॉरपोरेट सेक्टर हो तो वहां गलाकाट प्रतिस्पर्धा व दबाव के बीच कंपनियां परफेक्ट कर्मचारी ही चाहती हैं. यहां न केवल जॉब सिक्योरिटी केलिए बल्कि कंपनी की ग्रोथके लिए एम्प्लाई की क्वीलिफिकेशन/स्किल्स में वृद्धि जरूरी है. डिस्टेंट लर्निग इस मामले में उपयोगी है.


कॅरियर की राह में दमदार कोर्सेज

डिस्टेंस एजूकेशन के क्षेत्र में कई संस्थानों ने अपना स्पेशलाइजेशन किया है. इसमें सबसे जाना पहचाना नाम बन चुका इग्नू आज अपने 77 से ज्यादा एकेडमिक, प्रोफेशनल, वोकेशनल, अवेयरनेस जेनरेटिंग प्रोग्राम्स के जरिए देश के लाखों छात्रों को फायदा पहुंचा रहा है. इस दिशा में अंडरग्रेजुएट, पोस्टग्रेजुएट, प्रोफेशनल स्तरों पर कोर्सो की कमी नहीं है. यहां आर्ट्स, कॉमर्स, सांइस स्ट्रीमों में डिग्री या डिप्लोमा कोर्स उपलब्ध हैं. जिनमें फिजिक्स, केमिस्ट्री, बायोलॉजी, इकोनॉमिक्स, हिस्ट्री, पॉलिटिकल साइंस आदि प्रमुख हैं. प्रोफेशनल कोर्सो में बी-एड, बीबीए, बी-लिब आदि छात्रों की पहली पंसद बनते हैं. तो पीजी कोर्सेज में स्टूडेंट्स का झुकाव ज्यादातर एमए , एमएससी, एमकॉम, एमबीए में देखा गया है.


बाजार ने बढाए अवसर

गत कुछ दशकों में देश के आर्थिक हालात बदले हैं. आज एक ओर देश के बाजार मल्टीनेशनल कंपनियों के लिए खुले हैं, तो दूसरी ओर युवाओं के लिए अवसर भी बेशुमार हुए हैं. जाहिर सी बात है इन बदली परिस्थितियों में युवाओं को बदले एजूकेशन प्रोफाइल के साथ खुद को रीशेप करने की जरूरत पडी है. दूरस्थ शिक्षा के तमाम कोर्स इस चुनौतीपूर्ण वक्त में कामयाबी का मंत्र बन रहे हैं. कोर्सो की उपलब्धता पर भी इसका असर पडा है.


बेहतर इकोनॉमी का फ ार्मूला डिस्टेंस लर्निग

एसोचैम की रिपोर्ट के अनुसार पिछले दस सालों से देश में काबिल प्रोफेशनल्स की कमी बनी हुई है, और जो इंडस्ट्री में काम कर रहे युवा हैं वे भी वैल्यू एडीशन के अभाव में अपने नियोक्ता के लिए फायदेमंद साबित नही हो पा रहे. ठीक है कि आज मौकों का दायरा पहले से वृहत हुआ है पर इन्हें भुनाने केलिए आवश्यक है कि वे जॉब के अनुभव के साथ पेशेवर डिग्रियों से भी लैस हों. यहां यह बताने की बडी वजह इसलिए है कि केवल रेगुलर प्रोफेशनल कॉलेज बडी संख्या में एजूकेशन हंग्री युवाओं के लिए पर्याप्त नहीं हैं. उस पर देश में इन दिनों कम्प्यूटर आई -टी सेक्टर, हैवी इंडस्ट्री व छोटे उद्योगों में एैसे वर्क फ्रैं डली लोगों की मांग बढी है जो अपने काम से देश की अर्थव्यवस्था को ताकत दे सकें.

डिस्टेंस लर्निंग : आम हो रही शिक्षा

भारत जैसे विशाल व विविधता से भरे देश में शिक्षा की रौशनी हर कोने में पहुंचाना असंभव नहीं तो कठिन जरूर है. यह ठीक है कि बीते सालों के बजट में शिक्षा की मद में बढोत्तरी हुई है. बावजूद इसके सच्चाई यह है कि आज भी रेगुलर संस्थानों के बूते सबको पेशेवर/तकनीकी शिक्षा देना खासा चुनौतीपूर्ण है. इन सबके बीच दूरस्थ शिक्षा बडे पैमाने पर लोगों के बीच उच्च शिक्षा का प्रसार कर रही है. यहां से ये लोग डिग्रियां हासिल कर समाज में अपनी रेप्यूटेशन तो बढाते ही हैं नौकरियों के अवसर भी बढाते हैं. केवल उच्च शिक्षा में ही नहीं, अपना खुद का काम शुरू करने की दिशा में यहां से मिला प्रशिक्षण बेशकीमती है.

बन रही स्टूडेंट्स की पसंद

एजूकेशन सेक्टर में डिसटेंस लर्निग की महत्ता को इस बात से समझा जा सकता है कि आज देश में डिसटेंस एजूकेशन का दूसरा नाम बन चुकी इंदिरा गांधी ओपेन यूनीवर्सिटी (इग्नू) के देश में 48 रीजनल, 6 सब-रीजनल सेंटर व 1030 से ज्यादा स्टडी सेंटर हैं. जिनसे करीब 11 लाख लोग जुडे हुए हैं. पर छात्रों का यही आंकडा बीते दशक के शुरुआत में महज साढे चार लाख के आसपास था. ये आंकडे प्रोग्राम्स को मिल रही लोकप्रियता की एक बानगी भर हैं. कहने का आशय यह है कि अगर आप घर बैठे कोर्स करना चाहते हैं तो आपके लिए बेहतरीन अवसर है. अब यह आप पर निर्भर करता है कि आपके लिए किस तरह के कोर्स बेहतर हो सकते हैं. इन दिनों डिस्टेंस लर्निग के माध्यम से बहुत सारे युवा लाखों रुपये कमा रहे हैं और कॅरियर में नई ऊंचाई को भी छू रहे हैं. यदि आप को भी यह क्षेत्र आकर्षित कर रहा है तो आपके लिए बेस्ट है.


महत्वपूर्ण हैं सरकारी कदम

आज सरकार इस क्षेत्र को प्रोत्साहित करने में लगी है. इस समय देश में करीब 18600 कॉलेज और 360 केंद्रीय विश्वविद्यालय हैं. जो देश के छात्रों की उच्च शिक्षा की जरूरतों को पूरा कर रही हैं. जहां तक दूरस्थ शिक्षा का सवाल है तो इसकी लगातार बढती मांग को पूरा करने के लिए 1985 में एक्ट आफ इंदिरा गांधी ओपेन यूनीवर्सिटी के तहत गठित कांउसिल ऑफ डिस्टेंस एजूकेशन इस क्षेत्र में अपना योगदान दे रही है. इसका काम देश में डिस्टेंस एजूकेशन को बढावा देने के साथ इसकेढांचे को मजबूत करना है.


डिस्टेंस एजूकेशन काउंसिल

डिस्टेंस एजूकेशन की लोकप्रियता के चलते सरकार ने इस कांउसिल की स्थापना 1985 के नेशनल ओपेन यूनीवर्सिटी एक्ट के तहत की. जिसका काम देश भर की ओपेन यूनीविर्सिटी के साथ समन्वयन करना होता है. इसके अलावा यह कोर्सो की गुणवत्ता, उनकी सभी तक पहुंच, पाठ्यक्रम निर्माण में गहन वैज्ञानिक सोच, नई तकनीकों का प्रसार, अध्यापक ट्रेनिंग, फंड एलोकेशन जैसे कामों को भी सुनिश्चित करती है. डिस्टेंस एजूकेशन को यूनिवर्सिटी एक्ट की धारा 16 में जगह दी गई है.


इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ डिस्टेंस स्टडीज

शिक्षा को अर्थव्यवस्था क ा पूरक माना जाता है. यानि आज जिस देश के पास जितने क्वालीफाइड प्रोफेशनल्स / स्किल्ड वर्कर्स होंगे उसकी अर्थव्यवस्था उतनी ही दमदार होगी. इन्ही सबके मद्देनजर सरकार ने जयपुर में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ डिस्टेंस स्टडीज की स्थापना की थी. जिसका मकसद दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से देश के बढते पूंजी बाजार को क्षमतावान नेतृत्व देना है. इस काम में आईआईडीएस को एजूकेशन डेवलेपमेंट एंड मैनेजेरियल रिसर्च ट्रस्ट (इडीएमआर) सहयोग करता है. आईटी, एचआर, प्रोडक्शन,फायनेंस इसके मुख्य क्षेत्र हैं.


सबके लिए फायदेमंद

आज डिस्टेंस लर्निग का दायरा बहुत विस्तृत हो चुका है. आज विभिन्न सेक्टर्स, खास समूह के लोगों के लिए ये उपयोगी हैं.

1. प्रोफशनल्स को सुझाती नई राहें – एक अनुमान के मुताबिक इनमें शामिल कुल छात्रों में औसतन 60 से 65 फीसदी छात्र नौकरी पेशे से जुडे होते हैं. जिनके लिए अपने बिजी शिड्यूल में रेगुलर कोर्सेज के लिए वक्त निकालना मुश्किल होता है. हां, डिस्टेंस कोर्सो की मदद से अपनी क्वालीफिकेशन बढा तरक्की का सपना जरूर पूरा कर सकते हैं.

2. दूरदराज के छात्रों के लिए उपयोगी- बेशक शिक्षाक्षेत्र में हम बाकी दुनिया से पीछे हों. पर डिस्टेंस लर्निग इस फासले को तेजी से भर रही है. खासतौर पर दूरदराज के इलाकों में तो डिस्टेंस लर्निग कोर्स, शिक्षा के नये लैंप पोस्ट हैं. जिनकी रौशनी में लाखों युवा बेरोकटोक अपनी मंजिल खोज पा रहे हैं.

3. महिलाओं के लिए सटीक विकल्प- अब तक माना जाता था कि रीति-रिवाजों, रूढियों व पूर्वाग्रहों से भरे भारत में महिलाओं के लिए उच्च शिक्षा की राह तय करना आसान नहीं होता. पर बाकी बहुत सी चीजों की तरह यहां भी बदलाव आ रहा है. और इन बदलावों में डिस्टेंस लर्निग की उल्लेखनीय भूमिका है.

4. उम्रदराजों में भी लोकप्रिय- शिक्षा क्षेत्र में उम्रदराज लोगों की मौजूदगी यह बताने को काफ ी है कि लोग बढती उम्र में भी पढाई/डिग्रियों का रुझान रखते हैं. वैसे भी जिस तरह आज ओपेन इकोनॉमी के दौर में रिटायरमेंट के बाद भी कंपनियां अपने ही कर्मचारियों या दूसरे अनुभवी कर्मचारियों को जगह दे रही हैं, लिहाजा उनका हाइली क्वालीफाइड रिज्यूम रिटायरमेंट के बाद भी उनके लिए स्कोप जीवित रखता है.

5. शारीरिक रूप से अशक्तों के लिए वरदान- शिक्षा केवल लोगों की जरूरत नहीं बल्कि उनका हक है. ऐसे में इस दौड में पीछे रह जाने वाले शारीरिक रूप से अक्षम लोगों के लिए डिस्टेंस लर्निंग संभावनाओं का श्चोत है. डिस्टेंस लर्निग इन्हें बगैर कहीं आये जाये घर बैठे डिग्री व डिप्लेामा पाने का अवसर देता है.

6. औसत छात्रों के लिए भी मौके-इसके अलावा यह औसत प्रतिभा वाले उन छात्रों के लिए भी बडा सहारा है जो सीमित सीटों के चलते अक्सर प्रोफेशनल कॉलेजों के दाखिले की दौड में पीछे रह जाते हैं.



कौन-कौन हैं इंस्टीट्यूट

लगातार बढ रही संभावनाओं के बीच सरकारी, गैर सरकारी विश्वविद्यालयों ने इस क्षेत्र में विस्तृत कोर्स शुरू किए हैं जिनमें कुछ खास विश्वविद्यालय इस प्रकार हैं-

इंदिरा गंाधी ओपेन यूनिवर्सिटी

डा.भीमराव अंबेडकर ओपेन यूनिवर्सिटी, हैदराबाद

मदुरई कामराज यूनिवर्सिटी, मदुरई

दिल्ली विश्वविद्यालय

मद्रास यूनिवर्सिटी

सिंबोसिस, पुणे

एसएनडीटी यूनिवर्सिटी

सिक्किम मनिपाल यूनिवर्सिटी

नालंदा ओपेन यूनिवर्सिटी

कर्नाटक ओपन यूनिवर्सिटी

महात्मा गांधी यूनिवर्सिटी, कोटट्म, केरल

आईसीएफएआई यूनिवर्सिटी

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ कॉमर्स एंड ट्रेड

उस्मानिया यूनिवर्सिटी, हैदराबाद

अन्नामलाई यूनिवर्सिटी, तमिलनाडु


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